शत्रुजीत कपूर ही रहेंगे हरियाणा के डीजीपी, सैनी सरकार ने नहीं भेजा नया पैनल

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खट्टर के भरोसेमंद अफसर को दूसरी बार मिली मंजूरी,अब रिटायरमेंट तक प्रदेश पुलिस की कमान संभालेंगे,वरिष्ठ अफसरों की उम्मीदों को झटका

Thenewsdose.com

Chandigarh, July 16,UPDATED:3.20PM

हरियाणा पुलिस के मुखिया शत्रुजीत कपूर की कुर्सी फिलहाल सुरक्षित है। नायब सैनी सरकार ने केंद्र सरकार को डीजीपी नियुक्ति के लिए कोई नया पैनल नहीं भेजा है। इसका सीधा अर्थ है कि 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी कपूर ही प्रदेश के पुलिस महानिदेशक बने रहेंगे, और अब वे 31 अक्टूबर 2026 तक इस पद पर रह सकते हैं—जब तक कि सरकार कोई नया निर्णय न ले।

कपूर ने 15 अगस्त, 2023 को डीजीपी पद की जिम्मेदारी संभाली थी। अब उनका एक साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। नियमों के तहत दो साल पूरे होने पर केंद्र को नए पैनल भेजे जाने चाहिए थे, लेकिन इस बार राज्य सरकार ने मौजूदा व्यवस्था को ही जारी रखने का संकेत दिया है।

केंद्र के पत्र पर चुप्पी, मौजूदा व्यवस्था को मिली मौन मंजूरी

दो महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हरियाणा सरकार को पत्र भेजकर डीजीपी पैनल मांगा था। परंतु न तो गृह विभाग ने कोई पैनल तैयार किया, और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कोई पहल हुई। आंतरिक रूप से पत्र सीएमओ तक तो पहुंचा, लेकिन उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब सरकारी सूत्रों ने साफ कर दिया है कि शत्रुजीत कपूर ही राज्य के डीजीपी बने रहेंगे, और नया पैनल अगली बार भेजा जाएगा, जब अधिकारियों के प्रमोशन या सेवानिवृत्ति के बाद नई स्थिति बनेगी।

खट्टर के करीबी माने जाते हैं कपूर, सैनी से भी बेहतर तालमेल

शत्रुजीत कपूर की पहचान एक सख्त, ईमानदार और निर्णय लेने वाले अफसर की है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में उन्हें बिजली निगम का चेयरमैन और फिर एसीबी का डीजी बनाया गया था। बाद में खट्टर ने ही उन्हें प्रदेश का डीजीपी नियुक्त किया। खास बात यह है कि उस समय कपूर ने दो वरिष्ठ अफसरोंमोहम्मद अकील और डॉ. आरसी मिश्राको पीछे छोड़कर यह पद संभाला था। अब सैनी सरकार ने भी उनके प्रति भरोसा जताया है। मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ उनका तालमेल अच्छा माना जाता है और यही कारण है कि नई सरकार के गठन के बाद भी उन्हें हटाया नहीं गया।

ईमानदारी, सख्ती और अनुभव ने दिलाई स्थिरता

कपूर को तीन बड़े विभागों—बिजली वितरण कंपनियों, पुलिस और परिवहन—में काम करने का अनुभव है। एसीबी में रहते हुए उन्होंने कई प्रभावशाली अफसरों, यहां तक कि आईएस और एचसीएस अधिकारियों तक पर कार्रवाई की। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका रुख हमेशा सख्त रहा है। हरियाणा पुलिस की कार्यशैली में हाल के वर्षों में जो बदलाव आए हैं—पुलिस ट्रेनिंग, तकनीकी निगरानी और अनुशासन—उसका श्रेय भी उन्हें जाता है।

वरिष्ठ अफसरों की उम्मीदें टूटीं, प्रमोशन की नई होड़ शुरू

शत्रुजीत कपूर के बने रहने से चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की डीजीपी बनने की उम्मीदें खत्म हो गई हैं।
इनमें सबसे वरिष्ठ 1988 बैच के मनोज यादव इस महीने 31 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं। वहीं मोहम्मद अकील (1989 बैच), आलोक कुमार राय (1991 बैच) और ओपी सिंह (1992 बैच) इसी साल सेवानिवृत्त होंगे। इन वरिष्ठों के बाद अब अगले क्रम में एडीजीपी रैंक के अधिकारी आ रहे हैं। इनमें आलोक मित्तल, एएस चावला, नवदीप विर्क और कला रामचंद्रन प्रमुख हैं, जिनका प्रमोशन अक्टूबर तक संभावित है। सूत्रों के मुताबिक, आलोक मित्तल अगले संभावित डीजीपी के रूप में सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।

फिलहाल स्थिरता पर जोर, नया पैनल अगले साल संभव

सरकार के इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल प्रशासनिक स्थिरता और भरोसेमंद नेतृत्व को प्राथमिकता दी गई है। नया पैनल अब संभवतः अगले वर्ष भेजा जा सकता है, जब कुछ वरिष्ठ अफसर रिटायर हो चुके होंगे और प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।तब तक, हरियाणा पुलिस की कमान शत्रुजीत कपूर के हाथ में ही रहेगी, जो अब तक सरकार की अपेक्षाओं पर खरे उतरते रहे हैं।

 

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