Listen To This Post
बैंकों के निष्कर्य खातों में पड़े ₹2 लाख करोड़ ‘ आरबीआई की पहल मेरी पूंजी, मेरा अधिकार’ क्लेम करने वालों को मिलेंगे
नई दिल्ली: अगर आपने या कभी आपके दादा-दादी ने कोई बैंक खाता खुलवाया था, जो दादा दादी या नाना नानी के इस दुनिया से चले जाने के बाद मय की गर्द में कहीं खो गया है याअगर परिवार के किसी सदस्य की जमा पूंजी सालों से बैंक में इनएक्टिव पड़ी है… तो अब चिंता छोड़ दीजिए। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऐसे ही लाखों खाताधारकों और उनके वारिसों के लिए ‘मेरी पूंजी, मेरा अधिकार’ नाम से एक बड़ी राहत योजना शुरू की है। इसके तहत अब पुराने, निष्क्रिय और अनक्लेम्ड बैंक खातों में जमा पैसा बेहद आसान, सुरक्षित और पारदर्शी प्रक्रिया से सीधे खाताधारकों को लौटाया जा रहा है।
RBI के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक देशभर के बैंकों में इस वक्त करीब ₹2 लाख करोड़ रुपये ऐसे खातों में फंसे हैं, जिनमें या तो पिछले दो साल से कोई लेन-देन नहीं हुआ या खाताधारक का निधन हो चुका है और परिवार को खाते की भनक तक नहीं लगी। अब यह रकम लोगों की जेब भी भरेगी और बाजार की रफ्तार भी बढ़ाएगी।
कैसे ‘खामोश’ हो जाता है बैंक खाता और कहां चला जाता है पैसा?
बैंकिंग नियम कहते हैं कि यदि किसी खाते में लगातार 2 साल तक कोई लेन-देन नहीं होता, तो वह इन-ऑपरेटिव (Dormant) घोषित हो जाता है।और अगर कोई खाता 10 वर्षों तक निष्क्रिय बना रहता है, तो बैंक उसमें पड़ी रकम को RBI के
डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEA Fund) में ट्रांसफर कर देता है।
यह स्थिति ज्यादातर इन कारणों से बनती है—
खाताधारक का निधन, परिवार को खाते की जानकारी नहीं
शहर या बैंक बदलने में पुराना अकाउंट भूल जाना
बुजुर्गों की एफडी या सेविंग अकाउंट का रिकॉर्ड परिवार तक न पहुंचना
RBI का साफ संदेश: DEA फंड में जमा पैसा भी पूरी तरह खाताधारक या उसके वैध वारिस का ही है। इस पर कोई समय-सीमा नहीं है, इसे कभी भी क्लेम किया जा सकता है।
सिर्फ 3 स्टेप्स में पैसा वापस – न लाइन, न दलाल, न फीस
RBI ने अब क्लेम प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल, आसान और पारदर्शी बना दिया है—
स्टेप 1: नाम खोजिए – पैसा खुद बोलेगा RBI की वेबसाइट
https://www.rbi.org.in/Scripts/DepositorEducation.aspx पर जाकर अपना या परिवार के किसी सदस्य का नाम डालें।
यहां साफ-साफ दिखेगा,पैसा किस बैंक में है। कितनी रकम जमा है। अकाउंट कब से निष्क्रिय है
स्टेप 2: किसी भी बैंक ब्रांच से करें क्लेम: अब आपको उसी पुराने बैंक या ब्रांच में जाने की मजबूरी नहीं।
आप किसी भी बैंक शाखा में जाकर क्लेम फॉर्म भर सकते हैं।
स्टेप 3: जांच पूरी – पैसा सीधा आपके खाते में । बैंक दस्तावेजों की जांच करेगा और इसके बाद
DEA फंड से पूरी रकम सीधे आपके खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में कोई शुल्क नहीं लगता।
किन कागजों की होगी जरूरत?
खुद क्लेम करने पर: आधार कार्ड या वोटर आईडी या पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस
वारिस के क्लेम पर अतिरिक्त दस्तावेज: मृत्यु प्रमाण पत्र, संबंध प्रमाण और लीगल हीरशिप सर्टिफिकेट
₹2 लाख करोड़ का असर क्या होगा? आम आदमी से लेकर बाजार तक लाभ
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह रकम अब तक एक तरह से ‘डेड कैपिटल’ बनी हुई थी। अब इसके बाहर आने से बैंकों की कर्ज देने की ताकत बढ़ेगी। MSME, स्टार्टअप और छोटे उद्योगों को नई वित्तीय ऑक्सीजन मिलेगी। बाजार में खपत बढ़ेगी, निवेश बढ़ेगा और रोजगार भी बढ़ेगा। यानी ‘मेरी पूंजी, मेरा अधिकार’ सिर्फ लोगों की कमाई नहीं लौटाएगा, बल्कि देश की आर्थिक धड़कन भी तेज करेगा।
पांच अहम सवाल जो आपके मन में उठते होंगे
Q1. क्या 20–25 साल पुराने खाते का पैसा भी मिल सकता है?
➡हां, पूरी तरह मिल सकता है। कोई समय-सीमा नहीं है।
Q2. क्या FD और सेविंग अकाउंट दोनों का क्लेम किया जा सकता है?
➡हां, दोनों का।
Q3. क्या वारिस ऑनलाइन क्लेम कर सकता है?
➡जानकारी ऑनलाइन मिलेगी, क्लेम बैंक ब्रांच से होगा।
Q4. क्या पैसा मिलने में लंबा वक्त लगेगा?
➡नहीं, दस्तावेज सही होने पर तेजी से ट्रांसफर होता है।
Q5. क्या किसी एजेंट की जरूरत है?
➡बिल्कुल नहीं, सब कुछ सीधे बैंक से।





बैंकों के निष्कर्य खातों में पड़े ₹2 लाख करोड़ ‘ आरबीआई की पहल मेरी पूंजी, मेरा अधिकार’ क्लेम करने वालों को मिलेंगे 




